प्यार की राह पर चलना अजी आसान नहीं
प्यार ही अमृत मधुर है , ज़हर भी है प्यार ही ।
सनम गर मिल गया तो ज़ीस्त में खिलती ख़ुशी
स्वर्ग को दिल स्पर्श करता हमसफ़र पाके हसीं
छूटता जब साथ, तो हमको रुलाता है वही ।
प्यार की राह पर चलना अजी आसान नहीं ।
जाय मिल हमको अगर क़स्मे वफ़ा दिलदार की
तो समझते, जीत ली बाज़ी हमीं ने प्यार की
संगदिल दिलबर अगर हो, दर्द ही बस दर्द ही ।
प्यार की राह पर चलना अजी आसान नहीं ।
भले ही अहल से हमने बात दिल की कही न कही
वफ़ा क्या है, जफ़ा क्या है, इसे हम जानते हैं ही
बावफ़ा तो हम रहे , माशूक़ था बेईमान ही ।
प्यार की राह पर चलना अजी आसान नहीं ।
तोड़कर के दिल हमारा गर चला जाए सनम
घाव सीने में लिये कह देंगे इस दुनिया से हम –
‘प्यार के बिन ज़िंदगी ही चाहिये हमको नहीं ’ ।
प्यार की राह पर चलना अजी आसान नहीं ।
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ज़ीस्त : ज़िंदगी
अहल : लोग
Oct. ‘61 / 1980 / 2016-280517
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